भावनाओ का निर्माण , केवल दिमाग करता है , जैसे कोई पोधा बड़ा होता है उसी तरह भावनाए या इमोशन बढ़ते है , इनके बड़ने पर इंसान खुद को इनसे अलग करने के लिए काफी तकलीफ झेलता है , जबकि केवल ये सारी बाते उसके खुद के है द्वारा गढ़ी हुई है ,उसने ही इन भावनाओ का निर्माण किया है , और अब दर्द भी खुद ही झेल रहा है , दुनिया कुछ ऐसी ही है या यूं कहे की इंसान कुछ ऐसे ही होते है , हमारा मन या दिमाग केवल उन्हीं चीजों पर लगता है जो हमें आसानी से मिल सकती है लेकिन मिल नहीं पा रही है ।
हम लोगो से ये अपेक्षा रखते है कि वो हमारे हिसाब से चले , वो ऐसी चीजे करे जिसमें हमें खुशी मिले , जबकि दूसरा व्यक्ति भी यही उम्मीद हमेशा रखता है , और वही चीज हम उसके लिए नहीं कर रहे होते है , जैसा वह चाहता है । क्यूंकि हम खुद से जुड़े हुए है , और हमारी हर एक कोशिश केवल खुद के भले के लिए ही होती है।
जबकि हम ये भूल ही जाते है कि , वह इंसान भी खुद से जुड़ा है , वह भी अपने बारे में अच्छा सोचेगा खुद का भला करेगा ।
भावनाए केवल मात्र एक याददाश्त है , कुछ यादें जो किसी चीज से या इंसान से जुड़ी हुई है , जैसे ही कोई ऐसी बात या समय दिमाग के सामने आता है , हमारा दिमाग उस इंसान से जोड़ देता है , और हमे पता लगता है कि अब वो इंसान हमारा नहीं रहा अब ये जो ख्वाहिश है वो कैसे पूरी होगी, और यही सोचकर मन परेशान होने लगता है , और फिर जवाब आता है कि उसके बिना जीवन अधूरा है , अब क्या करूंगा ,,, ना जाने क्या क्या ।
लेकिन हम भूल ही जाते है कि हम जो भी इस दुनिया से चाहते है , केवल एक जानकारी के दम पर या इंफॉर्मेशन के आधार पर हम हमारी इक्छाओ को बनाते है , जबकि जितनी भी परेशानियां है वो केवल एक मात्र जानकारी ही है , जिनसे हमारे जीवन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए , जबतक कि वो हमारे शरीर से जुड़ी समस्या ना हो ।
कोई भी इंसान किसी दूसरे इंसान से कुछ नहीं करा सकता जबतक की सामने वाला नहीं चाहेगा , और भावनाओ के खेल में तो कभी भी नहीं , क्यूंकि ये एक दम से होता ही नही है , भावनाओ को बनने में और ख़त्म होने में समय लगता है ,
निराश मत रहो, ये जीवन एक दिन ख़तम हो जाएगा इसमें भावनाए मात्र कुछ चंद लम्हों के लिए होती है , इस जीवन को नरक मत बनाओ इसे खुल के जियो , क्यूंकि ये कुछ ही समय का है , अपने इस शरीर और मन का पूरी तरह से उपयोग कर जीवन में सुख का अनुभव करो , एक दिन आप मर जाओगे और पूरी दुनिया यूंही चलती रहेगी , इसीलिए अपने जीवन को आंनद से भरलो, किसी पर आश्रित मत बनो , किसी से कोई अपेछा मत रखो , अपने कर्मो को पूरी ईमानदारी के साथ करो और मस्त मगन्न होकर , जीवन का पूरी तरह से लाभ उठाओ , भावनाओ का निर्माण करो लेकिन उनमें उलझो मत , सुलझे हुए रहो , भूलो मत तुम अलग शरीर हो , और तुम सिर्फ अपने आपको कंट्रोल कर सकते है , किसी और को या किसी और कि भावनाओ को नहीं , अपने आप के जीवन को सही ढंग का आकार दो , आप एक जीवन हो जिसे एक शरीर और मन प्राप्त हुआ है दुनिया के आनंद के लिए ।
ज़िन्दगी आपकी है , फैसला आपको करना चाहिए कि खुश रहना है दुखी ।
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