जीवन में किसी भी काम या फिर GOAL को पूरा करने के लिए ,
आपके पास वचनबद्धता[SELF COMMITMENT ] का होना आवश्यक है ,
क्यूंकि यही चीज आदत में बदलकर आपको एक खुद की कही बात पर अड़िग रहने वाला बनाती है ,
आप यदि किसी काम की शुरुवात करने वाले हो तो , उसके लिए तुरंत एक्शन न लेते हुए अथार्त तुरंत उस कार्य को न करते हुए , उस कार्य के लिए समय DECIDE करे
ताकि आपको तुरंत सटिस्फैक्शन की फीलिंग न आये ,
जब सेटिस्फेक्शन की भावना आती है तो फिर इंसान के पास वो लगन नहीं होती ,जो उस कार्य को न करने से पहले होती है ,
उस कार्य को एक समय या एक निश्चित समय दे ,वह समय आपके लिए कोई तारीख हो सकती है ,या कोई दिन , या फिर कोई घडी का समय कि ,
इस समय आपको कार्य पूर्ण करना है ,या फिर उस कार्य की शुरुवात करनी है ,
लेकिन इस डिसिशन में ये तय होना चाहिए की वह कार्य भलेही में 5 मिनट के लिए करूँगा लेकिन करूँगा जरूर ,
इससे होगा ये की अगर उस दिन आपका मन भी नहीं होगा कार्य करने का तब भी आप 5 मिनट के लिए वो काम करोगे जरूर जिससे आपके अंदर कॉन्फिडेंस आएगा की आप कुछ भी कर सकते हो , और आपके अंदर वचनबद्धता के गुण का विकाश होगा ,
और धीरे धीरे आप देखोगे की वह कार्य आपकी आदत में आ जायेगा , और आपको पता भी नहीं चलेगा ;
अगर मन नहीं है किसी काम को करने का तो खुद से कुछ समय मंगलो और फिर जुट जाओ पूरी तरह से
अगर उदाहरण दूँ तो
आपको अगर इंलिश बोलना सीखना है तो , कोई भी किताब या इंटनेट का सहारा ले और एक समय निसचित करे की मुझे डेली एक पेज या एक टॉपिक को कवर करना है ,जिससे में इंलिश बोल सकू ,
अब इसमें होता ये है की हम सोचते बहुत है इंग्लिश बोलने का पर 2 दिन बाद बंद कर देते है , क्यूंकि तबतक हमारा दिमाग सेटिसफिइड हो जाता है और उसे ये सब बोरिंग लगने लगता है ,
आपको ,अपने आपको इस काम के लिए इतना समय देना है की , आपके सेल्फ बिलीव को हो शर्म आ जाये के भाई तूने जितना टाइम माँगा मेने दिया अब तो कर मतलब आप 8 -10 दिन के बाद शुरवात कर सकते हो !
THANKS FOR READING.....
आपके पास वचनबद्धता[SELF COMMITMENT ] का होना आवश्यक है ,
क्यूंकि यही चीज आदत में बदलकर आपको एक खुद की कही बात पर अड़िग रहने वाला बनाती है ,
आप यदि किसी काम की शुरुवात करने वाले हो तो , उसके लिए तुरंत एक्शन न लेते हुए अथार्त तुरंत उस कार्य को न करते हुए , उस कार्य के लिए समय DECIDE करे
ताकि आपको तुरंत सटिस्फैक्शन की फीलिंग न आये ,
जब सेटिस्फेक्शन की भावना आती है तो फिर इंसान के पास वो लगन नहीं होती ,जो उस कार्य को न करने से पहले होती है ,
उस कार्य को एक समय या एक निश्चित समय दे ,वह समय आपके लिए कोई तारीख हो सकती है ,या कोई दिन , या फिर कोई घडी का समय कि ,
इस समय आपको कार्य पूर्ण करना है ,या फिर उस कार्य की शुरुवात करनी है ,
लेकिन इस डिसिशन में ये तय होना चाहिए की वह कार्य भलेही में 5 मिनट के लिए करूँगा लेकिन करूँगा जरूर ,
इससे होगा ये की अगर उस दिन आपका मन भी नहीं होगा कार्य करने का तब भी आप 5 मिनट के लिए वो काम करोगे जरूर जिससे आपके अंदर कॉन्फिडेंस आएगा की आप कुछ भी कर सकते हो , और आपके अंदर वचनबद्धता के गुण का विकाश होगा ,
और धीरे धीरे आप देखोगे की वह कार्य आपकी आदत में आ जायेगा , और आपको पता भी नहीं चलेगा ;
अगर मन नहीं है किसी काम को करने का तो खुद से कुछ समय मंगलो और फिर जुट जाओ पूरी तरह से
अगर उदाहरण दूँ तो
आपको अगर इंलिश बोलना सीखना है तो , कोई भी किताब या इंटनेट का सहारा ले और एक समय निसचित करे की मुझे डेली एक पेज या एक टॉपिक को कवर करना है ,जिससे में इंलिश बोल सकू ,
अब इसमें होता ये है की हम सोचते बहुत है इंग्लिश बोलने का पर 2 दिन बाद बंद कर देते है , क्यूंकि तबतक हमारा दिमाग सेटिसफिइड हो जाता है और उसे ये सब बोरिंग लगने लगता है ,
आपको ,अपने आपको इस काम के लिए इतना समय देना है की , आपके सेल्फ बिलीव को हो शर्म आ जाये के भाई तूने जितना टाइम माँगा मेने दिया अब तो कर मतलब आप 8 -10 दिन के बाद शुरवात कर सकते हो !
"इंसान से बड़ी ताकत इस धरती पे मौजूद नहीं है " खुद का उपयोग करो
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