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comparing yourself with others or not ?: दुसरो से खुद की तुलना करे या नहीं ?
जब हम अपने आप की तुलना किसी ऐसे व्यक्ति से करते है , जो हमारे हिसाब से हमसे अच्छा होता है , तब हमारे दिमाग में एक जलन या आग तो महसूस होती है ,लेकिन वह अच्छी भी हो सकती है , अगर हम चाहे तो , क्यूंकि वो आग एक एनर्जी देती है , जो हमें काम करने के लिए  विवस करती है ,
या यूँ कहा जाये की एनर्जी कही से भी आये बस काम होना चाहिए ,
"कम्पेरिजन ज़िन्दगी में दुःख देता , जब आपके हालत ऐसे होते है की आप कुछ कर नहीं सकते बहुत कुछ चाहते हुए भी, लेकिन ऊर्जा का नियम तो याद ही होगा ,एनर्जी को ख़त्म नहीं कर सकते है , उसे उपयोग कर सकते है ,!
यहाँ 2 बातें बनती है -
आप उस इंसान से प्रेरणा ले सकते हो या फिर  नेगेटिविटी निकाल के खुद वही ठहर सकते हो , आपकी लाइफ है फैसला आपके हाथ है.क्या करना है | 
वैसे भी जब कोई अपना कुछ ऐसा करता है जिसकी आपको उम्मीद नहीं होती तब तो , एनर्जी और बढ़ जाती है 
let's start your new chapter
thanks for reading 


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